भाजपा ने फिर खेला जाट कार्ड, एक तीर कई निशानें

रोहतक। हरियाणा में बरोदा चुनाव का असर दिखने लगा है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ को प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया है। रविवार को किए गए इस ऐलान को राजनीतिज्ञ अलग-अलग तरह से देख रहे है। राष्ट्रीय महासचिव एवं भाजपा मुख्यालय प्रभारी अरूण सिंह ने पत्र जारी कर इसकी जानकारी दी। जैसे ही जानकारी बाहर आई ओपी धनखड़ को शुभकामनाएं मिलने का दौर शुरू हो गया। पिछले काफी दिनों से प्रदेशअध्यक्ष का पद किसको मिलेगा, इसपर अटकलें जारी थी।

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को लेकर लॉकडाउन से पहले चर्चा शुरू हो गई थी। कृष्णपाल गुर्जर, संदीप जोशी, कैप्टन अभिमन्यु, सुभाष बराला और ओमप्रकाश धनखड़ का नाम आगे चल रहा था। शुरूआत में कयास लगाए जा रहे थे कि सुभाष बराला को ही दोबारा जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर का नाम सबसे आगे था लेकिन भाजपा संगठन में उनके नाम पर भी सहमति नहीं बनी। अनलॉक शुरू होने के बाद लगातार सीएम मनोहर लाल खट्टर ने दिल्ली दरबार में चक्कर लगाए। पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। इसके बाद अब ओपी धनखड़ के रूप में पार्टी को नया अध्यक्ष मिला है। ओपी धनखड़ यूं तो पुराने खिलाड़ी है लेकिन उनके सामने कई चुनौतियां भी है।

2014 में मनोहर लाल खट्टर सरकार के पहले कार्यकाल में धनखड़ बादली विधानसभा से चुनकर विधायक बने थे। इसके बाद उन्हें कृषि, मत्स्य, नहरी मंत्री बनाया गया था। 2019 के चुनाव में धनखड़ हरियाणा के उन भाजपाई मंत्रियों में शामिल थे जो चुनाव हार गए थे। इससे पहले के उनके राजनीतिक करियर की बात करें तो वे 1978 में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़ गए थे। फिर विद्यार्थी जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में काम किया। उन्होंने धीरे-धीरे संगठन में अपनी जगह बनाई। भाजपा की राष्ट्रीय व क्षेत्रीय इकाइयों में कई पदों पर रहे। वे लंबे समय तक किसान मोर्चा से जुड़े रहे। इस वजह से देशभर के भाजपा नेता उन्हें व्यक्तिगत जानते हैं।

आज के हालात के बारे में बात करे तो हरियाणा में भाजपा जजपा के साथ सरकार चला रही है। 2016 के जाट आरक्षण आंदोलन के बाद प्रदेश में जाट-गैर जाट की राजनीति चल रही है। राजनीतिज्ञों का कहना है कि भाजपा ने अपने जाट बैंक को फिर अपने साथ करने की कोशिश की है। बरोदा में उपचुनाव होने है, पार्टी इस सीट को अपने पाले में डालना चाहती है। भाजपा धनखड़ के बहाने एक तीर से कई निशानें लगाना चाहती है। भाजपा पिछले विधानसभा चुनाव में अपने नतीजे को देखते हुए अब नई रणनीति पर काम कर रही है। देखने वाली बात होगी कि ओपी धनखड़ पार्टी को संगठन स्तर पर कितना मजबूत कर पाते है।

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